रविवार, 13 फ़रवरी 2011




आज
देखा एक छोटा-सा सपना
जिसमें आसमां रुई-सा उड़ता बादल था...
घिरी थी दूर-दूर तक हरियाली की चादर
हवाओं में घुली थी एक महक...
जो एहसास करा रही थी किसी के साथ होने का
पर आँखें खुली तो जाना,
सपना
टूट चूका था...!!